हैलो दोस्तों आज कि
मेरी इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेगें कि
What Is GST? After The Implementation of GST, What Impact
Did The Country’s Tax Have On? How Many Types Of Tax Was To Be Paid Before GST?
What Is Direct Tax and Indirect Tax? Why Do GST? तो मेरी इस पोस्ट को पढ़े और इसमें कोई सुधार की आवश्यकता हो तो
मुझे ज़रूर कमेंट कर सूचित करें ताकि मैं उसे सही कर सकूँ और GST के बारे में कुछ और जानना चाहते है तो वह भी लिखें मैं कोशिश करुंगा कि वह भी मैं अपनी अगली पोस्ट में
प्रकाशित करूं।
Did The Country’s Tax Have On? How Many Types Of Tax Was To Be Paid Before GST?
What Is Direct Tax and Indirect Tax? Why Do GST? तो मेरी इस पोस्ट को पढ़े और इसमें कोई सुधार की आवश्यकता हो तो
मुझे ज़रूर कमेंट कर सूचित करें ताकि मैं उसे सही कर सकूँ और GST के बारे में कुछ और जानना चाहते है तो वह भी लिखें मैं कोशिश करुंगा कि वह भी मैं अपनी अगली पोस्ट में
प्रकाशित करूं।
GST in Hindi
GST in Hindi – Goods and Service Tax (GST) एक Indirect
Tax है। जो वस्तुओं और
सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष
करों को बदल दिया है। माल और सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित
किया गया था। यह अधिनियम 1 जुलाई 2017 को पूरे भारत में प्रभावी हुआ ।
Tax है। जो वस्तुओं और
सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष
करों को बदल दिया है। माल और सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित
किया गया था। यह अधिनियम 1 जुलाई 2017 को पूरे भारत में प्रभावी हुआ ।
सरल शब्दों में, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) वस्तुओं और सेवाओं की
आपूर्ति पर लगाया गया एक अप्रत्यक्ष कर है। इस कानून ने कई अप्रत्यक्ष कर क़ानूनों
को बदल दिया है जो पहले भारत में मौजूद थे।
आपूर्ति पर लगाया गया एक अप्रत्यक्ष कर है। इस कानून ने कई अप्रत्यक्ष कर क़ानूनों
को बदल दिया है जो पहले भारत में मौजूद थे।
जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी
वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर आधारित कर है।
वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर आधारित कर है।
उदाहरण के लिए यदि आप किसी Five Star Hotel में बैठ कर चाय पिऐंगे, तो आपको उस चाय के लिए Service Tax
Pay करना होगा क्योंकि आप
एक Hotel के
अन्दर बैठ कर चाय पी रहे हैं यानी Hotel की
सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यदि आप Five Star Hotel में बैठकर भी वही चाय बाहर के ठेले से मंगाकर पीते हैं, तो उस स्थिति में आपको
उस चाय पर कोई Service Tax Pay नहीं करना पड़ेगा हालांकि यदि Hotel वाले आपको अपने Hotel में
बैठने के लिए Charge करते
हैं, तो उस बैठने की सुविधा का उपयोग करने के बदले में किए जाने
वाले भुगतान पर आपको Service Tax देना पडेगा।
Pay करना होगा क्योंकि आप
एक Hotel के
अन्दर बैठ कर चाय पी रहे हैं यानी Hotel की
सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यदि आप Five Star Hotel में बैठकर भी वही चाय बाहर के ठेले से मंगाकर पीते हैं, तो उस स्थिति में आपको
उस चाय पर कोई Service Tax Pay नहीं करना पड़ेगा हालांकि यदि Hotel वाले आपको अपने Hotel में
बैठने के लिए Charge करते
हैं, तो उस बैठने की सुविधा का उपयोग करने के बदले में किए जाने
वाले भुगतान पर आपको Service Tax देना पडेगा।
GST लागू होने के बाद पूरा .देश एक Single Combined
Market में बदल गया है और
ज्यादातर Indirect Tax जैसे Central Excise Tax, Service Tax, Vat, Entertainment Tax,
Luxury Tax, Lottery Tax आदि सभी GST में समाहित हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप अब पूरे भारत
में किसी भी सामान (Goods) या सेवा (Service) पर एक जैसा Tax लगेगा
और पूरे देश में किसी एक सामान की कीमत एक ही रहेगी।
Market में बदल गया है और
ज्यादातर Indirect Tax जैसे Central Excise Tax, Service Tax, Vat, Entertainment Tax,
Luxury Tax, Lottery Tax आदि सभी GST में समाहित हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप अब पूरे भारत
में किसी भी सामान (Goods) या सेवा (Service) पर एक जैसा Tax लगेगा
और पूरे देश में किसी एक सामान की कीमत एक ही रहेगी।
GST से पहले केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों अपनी आमदनी के
लिए समय-समय पर नए-नए तरह के Tax लगा
सकते थे। इसी वजह से जब से देश आज़ाद हुआ, तब से लेकर GST Launch होने तक, कुल 7 तरह के Indirect Tax Central Government द्वारा तथा 8 तरह के Indirect Tax State Government द्वारा लगाया जा रहा था। यानी किसी भी Goods or
Service पर कुल 15 तरह के Indirect Taxes
Apply होते थे और अलग-अलग
राज्यों के Indirect Taxes की दर अलग-अलग होने की वजह से एक ही सामान की कीमत देश के
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हुआ करती थी।
लिए समय-समय पर नए-नए तरह के Tax लगा
सकते थे। इसी वजह से जब से देश आज़ाद हुआ, तब से लेकर GST Launch होने तक, कुल 7 तरह के Indirect Tax Central Government द्वारा तथा 8 तरह के Indirect Tax State Government द्वारा लगाया जा रहा था। यानी किसी भी Goods or
Service पर कुल 15 तरह के Indirect Taxes
Apply होते थे और अलग-अलग
राज्यों के Indirect Taxes की दर अलग-अलग होने की वजह से एक ही सामान की कीमत देश के
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हुआ करती थी।
इस पुराने Taxation System का नाजायज फायदा व्यापारी लोग Tax बचाने के लिए उठाते थे। वे सामान किसी ऐसे State से लेते थे, जिसका Tax ज्यादा
होता था और ऐसे राज्य का Bill कटवाते
थे, जिसका Tax कम
था। परिणामस्वरूप बीच के Tax Gap को डकार जाते थे और व्यापारियों के इस तरह के Tax बचाने की प्रक्रिया को Identify करना किसी भी स्थिति में सम्भव नहीं था। लेकिन GST के बाद सभी जगह एक जैसा Tax होने की वजह से व्यापारी लोग इस तरीके से Tax नहीं बचा सकेंगे।
होता था और ऐसे राज्य का Bill कटवाते
थे, जिसका Tax कम
था। परिणामस्वरूप बीच के Tax Gap को डकार जाते थे और व्यापारियों के इस तरह के Tax बचाने की प्रक्रिया को Identify करना किसी भी स्थिति में सम्भव नहीं था। लेकिन GST के बाद सभी जगह एक जैसा Tax होने की वजह से व्यापारी लोग इस तरीके से Tax नहीं बचा सकेंगे।
क्योंकि जो लोग इस
तरह की Tax Savings करने के कारण Tax Payer होकर Return File करने से बच जाते थे, अब उन्हें भी Legal तरीके
से Return File करना होगा और Tax Payer बनना ही पडेगा। परिणामस्वरूप सरकार के पास वास्तव में ज्यादा Tax पहुँचेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था (GDP) में
अगले 2 से 3 सालों में कम से कम 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो कि वर्तमान में लगभग 7% के आसपास है।
तरह की Tax Savings करने के कारण Tax Payer होकर Return File करने से बच जाते थे, अब उन्हें भी Legal तरीके
से Return File करना होगा और Tax Payer बनना ही पडेगा। परिणामस्वरूप सरकार के पास वास्तव में ज्यादा Tax पहुँचेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था (GDP) में
अगले 2 से 3 सालों में कम से कम 2 से 3 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो कि वर्तमान में लगभग 7% के आसपास है।
अक्सर लोग ये नहीं
समझ पाते कि GDP Growth से देश के आम नागरिक को क्या फायदा होता है? वास्तव में GDP Growth, Inflation
Adjusted होता है। यानी यदि देश
की GDP Growth 7% व Inflation Rate (महँगाई दर) 5% है, तो इसका मतलब ये है कि दुनियाँ के संदर्भ में देश की विकास
दर 7+5 = 12% सालाना है। ऐसे में यदि देश की GDP 3% बढ़ जाए, व Inflation Rate 5% ही रहे, तब भी दुनियाँ के
संदर्भ में देश की विकास दर 10 + 5 = 15% Yearly हो जाएगी और यदि 10 सालों तक देश की अर्थव्यवस्था इसी 15% Yearly की दर से बढ़ती रहे, तो Compounding Effect के कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था जो कि वर्तमान में
लगभग 3 Trillion Dollars की है, 10 साल बाद लगभग 13 Trillion
Dollars की हो जाएगी, जो कि USA की लगभग वर्तमान की अर्थव्यवस्था है।
समझ पाते कि GDP Growth से देश के आम नागरिक को क्या फायदा होता है? वास्तव में GDP Growth, Inflation
Adjusted होता है। यानी यदि देश
की GDP Growth 7% व Inflation Rate (महँगाई दर) 5% है, तो इसका मतलब ये है कि दुनियाँ के संदर्भ में देश की विकास
दर 7+5 = 12% सालाना है। ऐसे में यदि देश की GDP 3% बढ़ जाए, व Inflation Rate 5% ही रहे, तब भी दुनियाँ के
संदर्भ में देश की विकास दर 10 + 5 = 15% Yearly हो जाएगी और यदि 10 सालों तक देश की अर्थव्यवस्था इसी 15% Yearly की दर से बढ़ती रहे, तो Compounding Effect के कारण हमारे देश की अर्थव्यवस्था जो कि वर्तमान में
लगभग 3 Trillion Dollars की है, 10 साल बाद लगभग 13 Trillion
Dollars की हो जाएगी, जो कि USA की लगभग वर्तमान की अर्थव्यवस्था है।
यानी 10 साल बाद भारत, आज के अमेरिका जितनी
बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है और जब भारत, आज के अमेरिका जितनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, तो आप समझ ही सकते हैं
कि आज का भारत कैसा दिखाई देगा। फिर किसी भारतीय को अमेरिका के H1B Visa की जरूरत नहीं होगी क्योंकि अमेरिका के Dollar व भारत के रुपया में कोई अन्तर नहीं रह जाएगा, जो कि वर्तमान में
लगभग 65 गुना का अन्तर है परिणामस्वरूप ज्यादा पैसे कमाने के लिए
अमेरिका जाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।
बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है और जब भारत, आज के अमेरिका जितनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, तो आप समझ ही सकते हैं
कि आज का भारत कैसा दिखाई देगा। फिर किसी भारतीय को अमेरिका के H1B Visa की जरूरत नहीं होगी क्योंकि अमेरिका के Dollar व भारत के रुपया में कोई अन्तर नहीं रह जाएगा, जो कि वर्तमान में
लगभग 65 गुना का अन्तर है परिणामस्वरूप ज्यादा पैसे कमाने के लिए
अमेरिका जाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।
इसीलिए, GST का इतना ज्यादा शोर है। जबकि GST वास्तव में एक Tax है
जो जनता को वहन करना होगा। यानी जनता पर बोझ बढने वाला है, फिर भी इसे इतने
जोर-शोर से Promote किया जा रहा है। जिसका मूल कारण यही है कि इस GST की वजह से अगले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था में
जबरदस्त सुधार हो सकता है।
जो जनता को वहन करना होगा। यानी जनता पर बोझ बढने वाला है, फिर भी इसे इतने
जोर-शोर से Promote किया जा रहा है। जिसका मूल कारण यही है कि इस GST की वजह से अगले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था में
जबरदस्त सुधार हो सकता है।
GST से पहले तक केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा कुल 15 तरह के Indirect Tax तो लगते ही थे, साथ ही हर छोटे-मोटे नए Change को Apply करने
के लिए भी राज्य व केंद्र सरकारें समय-समय पर CESS के नाम पर कुछ और तरह के Taxes लगाती रही हैं। उदाहरण के लिए स्वच्छ भारत अभियान एक प्रकार का CESS है, जिसे Service Tax के साथ 2014 से
यानी पिछले 3 सालों से Indirect Tax के रूप में हम Pay करते
आ रहे हैं।
के लिए भी राज्य व केंद्र सरकारें समय-समय पर CESS के नाम पर कुछ और तरह के Taxes लगाती रही हैं। उदाहरण के लिए स्वच्छ भारत अभियान एक प्रकार का CESS है, जिसे Service Tax के साथ 2014 से
यानी पिछले 3 सालों से Indirect Tax के रूप में हम Pay करते
आ रहे हैं।
BEFORE GST TAXES
40 तरह के Indirect Taxes से मुक्ति मिल गई है, इसका मतलब ये नहीं है कि अब हमें ये Tax नहीं भरने पडेंगे। वास्तव में इसका केवल इतना ही मतलब है
कि अब हमें 40 अलग तरह के Indirect Tax Pay नहीं करने होंगे बल्कि इन सभी 40 तरह के Taxes को GST के
रूप में एक Single Tax की तरह ही Pay करना
होगा जिससे Account Manage करना आसान हो जाएगा।
कि अब हमें 40 अलग तरह के Indirect Tax Pay नहीं करने होंगे बल्कि इन सभी 40 तरह के Taxes को GST के
रूप में एक Single Tax की तरह ही Pay करना
होगा जिससे Account Manage करना आसान हो जाएगा।
साथ ही GST को Handle करने के लिए Digital Technology यानी Computerized System का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि पूरी दुनियाँ में सबसे
पहली बार किया जा रहा है। इसके तहत Invoice Matching का काम Computer System द्वारा किया जाएगा, जिससे कोई व्यापारी गलत Invoicing करके Cheating करते हुए Tax नहीं
बचासकता। सामान्य बोलचाल की भाषा में कहें तो कच्चा बिल बनाकर गलत Entries नहीं दिखा सकता।
पहली बार किया जा रहा है। इसके तहत Invoice Matching का काम Computer System द्वारा किया जाएगा, जिससे कोई व्यापारी गलत Invoicing करके Cheating करते हुए Tax नहीं
बचासकता। सामान्य बोलचाल की भाषा में कहें तो कच्चा बिल बनाकर गलत Entries नहीं दिखा सकता।
Invoice Matching
System के अन्तर्गत होगा ये
कि जब भी कोई व्यापारी कोई सामान बेचेगा, उसे अपने भी Sales के Records की Entry हर
महीने GST System के अन्तर्गत करनी होगी जो कि उसके GST ID के साथ Record होगा।
साथ ही उसने जिस दूसरे व्यापारी को सामान बेचा है, उसका भी GST ID Record होगा। यानी System को
ये पता रहेगा कि किस GST ID वाले
व्यापारी ने किस दूसरे GST ID वाले
व्यापारी को कौन सा सामान किस दर पर और कितनी Quantity में बेचा है।
System के अन्तर्गत होगा ये
कि जब भी कोई व्यापारी कोई सामान बेचेगा, उसे अपने भी Sales के Records की Entry हर
महीने GST System के अन्तर्गत करनी होगी जो कि उसके GST ID के साथ Record होगा।
साथ ही उसने जिस दूसरे व्यापारी को सामान बेचा है, उसका भी GST ID Record होगा। यानी System को
ये पता रहेगा कि किस GST ID वाले
व्यापारी ने किस दूसरे GST ID वाले
व्यापारी को कौन सा सामान किस दर पर और कितनी Quantity में बेचा है।
अब जब वह दूसरा व्यापारी
उस पहले व्यापारी से खरीदे गए सामान को Consumers को Sale करेगा, तो फिर उसे भी उसी GST System में अपने सभी Sales Records की Entry करनी
पड़ेगी और क्योंकि System को
पहले से ही पता है कि उस दूसरे व्यापारी ने किस पहले व्यापारी से कौन सा सामान
कितनी Quantity में ख़रीदा है, इसलिए ये दूसरा व्यापानी न तो ज्यादा सामान बेचने की Entry कर सकता है न कम।
उस पहले व्यापारी से खरीदे गए सामान को Consumers को Sale करेगा, तो फिर उसे भी उसी GST System में अपने सभी Sales Records की Entry करनी
पड़ेगी और क्योंकि System को
पहले से ही पता है कि उस दूसरे व्यापारी ने किस पहले व्यापारी से कौन सा सामान
कितनी Quantity में ख़रीदा है, इसलिए ये दूसरा व्यापानी न तो ज्यादा सामान बेचने की Entry कर सकता है न कम।
उदाहरण के लिए व्यापारी A ने व्यापारी B को 10 Mobile
Phones बेचे तो उसकी Sales Record में B के Reference में केवल 10 Mobile Phones की ही Entry होगी।
अब जब व्यापारी B अपने Sales Record की Entry करेगा, तो वो अधिकतम 10 Mobile
Phones के Sale होने की ही Entry कर
सकता है। अगर वो 11 Mobile Phones Sale होने की Entry करेगा, तो System उससे पूछेगा कि 11वां Mobile Phone उसने किससे खरीदा है ताकि वह उस 11वें Mobile Phone के Seller से Record Matching कर सके। अगर व्यापारी B उसे 11वें Mobile Phone के Record की
जानकारी नहीं दे सकता, तो इसका मतलब यही है कि उसने वह Mobile बिना Bill के
ख़रीदा है। यानी उसने गैर कानूनी काम किया है, जिसके लिए उसे जुर्माना व सजा भी हो सकती है।
Phones बेचे तो उसकी Sales Record में B के Reference में केवल 10 Mobile Phones की ही Entry होगी।
अब जब व्यापारी B अपने Sales Record की Entry करेगा, तो वो अधिकतम 10 Mobile
Phones के Sale होने की ही Entry कर
सकता है। अगर वो 11 Mobile Phones Sale होने की Entry करेगा, तो System उससे पूछेगा कि 11वां Mobile Phone उसने किससे खरीदा है ताकि वह उस 11वें Mobile Phone के Seller से Record Matching कर सके। अगर व्यापारी B उसे 11वें Mobile Phone के Record की
जानकारी नहीं दे सकता, तो इसका मतलब यही है कि उसने वह Mobile बिना Bill के
ख़रीदा है। यानी उसने गैर कानूनी काम किया है, जिसके लिए उसे जुर्माना व सजा भी हो सकती है।
इस Record Matching
Process की वजह से ही अब किसी
व्यापारी का आसानी से Tax चोरी
करना सम्भव ही नहीं है। जिसके परिणामस्वरूप वे काला धन इकट्ठा नहीं कर सकते क्योंकि
सरकार ने पहले ही ये कानून बना दिया है कि 2 लाख से ज्यादा कोई भी व्यक्ति अपने घर में Cash नहीं रख सकता। अपने पास 2 लाख से ज्यादा कश रखना भी गैर कानूनी
है। तो इस तरह से या तो उस दूसरे व्यापारी B को बताना होगा कि वो 11वां Mobile उसने
किससे ख़रीदा या फिर वह उस 11वें Mobile की Selling को Show नहीं
कर सकता। और जिस Product की Selling को व्यापारी Show ही
नहीं कर सकता, उससे होने वाली आय को वो Use भी नहीं कर सकता।
Process की वजह से ही अब किसी
व्यापारी का आसानी से Tax चोरी
करना सम्भव ही नहीं है। जिसके परिणामस्वरूप वे काला धन इकट्ठा नहीं कर सकते क्योंकि
सरकार ने पहले ही ये कानून बना दिया है कि 2 लाख से ज्यादा कोई भी व्यक्ति अपने घर में Cash नहीं रख सकता। अपने पास 2 लाख से ज्यादा कश रखना भी गैर कानूनी
है। तो इस तरह से या तो उस दूसरे व्यापारी B को बताना होगा कि वो 11वां Mobile उसने
किससे ख़रीदा या फिर वह उस 11वें Mobile की Selling को Show नहीं
कर सकता। और जिस Product की Selling को व्यापारी Show ही
नहीं कर सकता, उससे होने वाली आय को वो Use भी नहीं कर सकता।
क्योंकि Undeclared
Money से अगर वो कोई सामान
खरीदे गा, तो उसे 50 हजार से ज्यादा के सामान को खरीदने पर अपना PAN Card देना होगा और PAN Card की Information से सरकार द्वारा आसानी से पता लगा लिया जाएगा कि उस Particular व्यापारी की कुल Declared Income कितनी है और उसने खर्च कितना किया है। अगर उसकी Income व Expense में Difference होगा, तो वो तुरन्त पकड़ में आ जाएगा। तो बहुत सारे लोग जो कि GST का विरोध कर रहे हैं, वास्तव में वे इसी वजह से विरोध कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें
पता है कि वे अब Tax चोरी कर नहीं पाएंगे और अगर करेंगे, तो निश्चित रूप से पकडे जाऐंगे।
Money से अगर वो कोई सामान
खरीदे गा, तो उसे 50 हजार से ज्यादा के सामान को खरीदने पर अपना PAN Card देना होगा और PAN Card की Information से सरकार द्वारा आसानी से पता लगा लिया जाएगा कि उस Particular व्यापारी की कुल Declared Income कितनी है और उसने खर्च कितना किया है। अगर उसकी Income व Expense में Difference होगा, तो वो तुरन्त पकड़ में आ जाएगा। तो बहुत सारे लोग जो कि GST का विरोध कर रहे हैं, वास्तव में वे इसी वजह से विरोध कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें
पता है कि वे अब Tax चोरी कर नहीं पाएंगे और अगर करेंगे, तो निश्चित रूप से पकडे जाऐंगे।
GST से एक फायदा ये भी हो रहा है कि अब Tax पर Tax नहीं
लगेगा जो कि पहले लगा करता था। वास्तव में हमारे देश में शुरू से ही ऐसा Taxation System बनाने की परिकल्पना थी जिसमें किसी भी चीज पर केवल एक ही
बार Tax Pay करना पड़े। लेकिन केंद्र व राज्य दोनों अलग सरकारों द्वारा
अलग-अलग तरह के Tax Apply करने की वजह से कई बार एक वस्तु पर Tax Pay कर दिए जाने के बाद किसी दूसरे राज्य में उस वस्तु पर फिर
से Tax लगा
दिया जाता था, जिससे एक ही सामान की दो राज्यों में दो अलग कीमत हो जाती
थी। GST की
वजह से पूरे देश में हर वस्तु पर केवल 1 ही दर से Tax लगेगा, जिसकी वजह से इस Tax पर Tax लगने
की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा।
लगेगा जो कि पहले लगा करता था। वास्तव में हमारे देश में शुरू से ही ऐसा Taxation System बनाने की परिकल्पना थी जिसमें किसी भी चीज पर केवल एक ही
बार Tax Pay करना पड़े। लेकिन केंद्र व राज्य दोनों अलग सरकारों द्वारा
अलग-अलग तरह के Tax Apply करने की वजह से कई बार एक वस्तु पर Tax Pay कर दिए जाने के बाद किसी दूसरे राज्य में उस वस्तु पर फिर
से Tax लगा
दिया जाता था, जिससे एक ही सामान की दो राज्यों में दो अलग कीमत हो जाती
थी। GST की
वजह से पूरे देश में हर वस्तु पर केवल 1 ही दर से Tax लगेगा, जिसकी वजह से इस Tax पर Tax लगने
की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा।
GST से पहले हमारे देश में कई तरह के Direct व Indirect Taxes लगते थे। सामान्यत: लोग इन दोनों तरह के Taxes के बीच अन्तर भी नहीं कर पाते। चलिए, इन दोनों तरह के Taxes को भी थोड़ा Clarify कर लेते हैं।
DIRECT TAX
Direct Tax वो Tax होता
है जिसे जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, उसे ही Pay करना
होता है। ये एक प्रकार से Individual Tax होता है जिसे किसी Particular Category के व्यक्ति को ही Pay करना
होता है।
है जिसे जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, उसे ही Pay करना
होता है। ये एक प्रकार से Individual Tax होता है जिसे किसी Particular Category के व्यक्ति को ही Pay करना
होता है।
उदाहरण के लिए Income Tax एक प्रकार का Direct Tax है क्योंकि ये Tax केवल
उसी व्यक्ति को Pay करना
है, जो कि किसी Particular Income Tax Slab में आता है। यदि व्यक्ति की सालाना कुल आय 2.5 लाख से कम है, तो वो No Tax Slab में होता है, जबकि यदि किसी व्यक्ति की सालाना आय 10 लाख से ज्यादा है, तो वो कम से कम 20% के Tax Slab में होता है और केवल उसी व्यक्ति को Tax Pay करना पडता है।
उसी व्यक्ति को Pay करना
है, जो कि किसी Particular Income Tax Slab में आता है। यदि व्यक्ति की सालाना कुल आय 2.5 लाख से कम है, तो वो No Tax Slab में होता है, जबकि यदि किसी व्यक्ति की सालाना आय 10 लाख से ज्यादा है, तो वो कम से कम 20% के Tax Slab में होता है और केवल उसी व्यक्ति को Tax Pay करना पडता है।
Income Tax की तरह ही कई और तरह के Direct Tax भी होते हैं। जैसे Agriculture Tax, Business Tax, Wealth Tax, Municipal Tax,
Land Revenue Tax, Capital Gain Tax, Gift Tax
Land Revenue Tax, Capital Gain Tax, Gift Tax
INDIRECT TAX
Indirect Tax वो Tax होता
है जिसे किसी एक व्यक्ति पर नहीं लगाया जाता और अक्सर इस तरह का Tax सभी लोगों को Pay करना
होता है, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह Tax प्रधानमंत्री है या भिखारी और GST एक इसी प्रकार का Indirect Tax है, जिसे एक भिखारी भी Pay करेगा
क्योंकि उसे पता ही नहीं चलेगा कि उसने भी Tax Pay किया है।
है जिसे किसी एक व्यक्ति पर नहीं लगाया जाता और अक्सर इस तरह का Tax सभी लोगों को Pay करना
होता है, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह Tax प्रधानमंत्री है या भिखारी और GST एक इसी प्रकार का Indirect Tax है, जिसे एक भिखारी भी Pay करेगा
क्योंकि उसे पता ही नहीं चलेगा कि उसने भी Tax Pay किया है।
हमारे देश में आज भी 99% लोगों को यही लगता है
कि Tax तो
केवल अमीर लोग ही Pay करते
हैं। वास्तव में अमीर लोग किसी भिखारी से केवल एक ही Tax Extra Pay करते हैं और वो होता है Income Tax, और Income Tax के अलावा हर वो Tax एक
भिखारी भी Pay करता
है, जो Ambani, Adani, Tendulkar और Dhoni करते
हैं।
कि Tax तो
केवल अमीर लोग ही Pay करते
हैं। वास्तव में अमीर लोग किसी भिखारी से केवल एक ही Tax Extra Pay करते हैं और वो होता है Income Tax, और Income Tax के अलावा हर वो Tax एक
भिखारी भी Pay करता
है, जो Ambani, Adani, Tendulkar और Dhoni करते
हैं।
Indirect Tax ही किसी भी सरकार का सबसे बडा Revenue Source होता है और जब भी सरकार अपने खर्चो में थोड़ा तंगी महसूस
करती है, वह Indirect Tax बढ़ा देती है। इसी वजह से 2014 में NDA Government बनने से पहले तक जो Service Tax 12% था, GST के आने तक वही Tax तीन
सालों में बढ़ते-बढते 15% हो
गया और GST के
साथ अब वही Service Tax 18% की Category में चला गया है।
करती है, वह Indirect Tax बढ़ा देती है। इसी वजह से 2014 में NDA Government बनने से पहले तक जो Service Tax 12% था, GST के आने तक वही Tax तीन
सालों में बढ़ते-बढते 15% हो
गया और GST के
साथ अब वही Service Tax 18% की Category में चला गया है।
GST से पहले तक Indirect Taxes के रूप में Excise Tax, Custom Tax, Services Tax, Market Tax, VAT,
Entertainment Tax, Sales Tax व Stamp Duty Tax के रूप में कई Taxes थे।
लेकिन GST लागू
होने के बाद इनमें से कई Taxes GST के अन्तर्गत ही Combined हो गए हैं।
Entertainment Tax, Sales Tax व Stamp Duty Tax के रूप में कई Taxes थे।
लेकिन GST लागू
होने के बाद इनमें से कई Taxes GST के अन्तर्गत ही Combined हो गए हैं।
WHY GST?
GST से पहले तक भारत Tax Structure बहुत Complex था। जहां भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं
की Selling पर Tax लगाने
का अधिकार राज्य सरकार के पास था और वस्तुओं के Manufacturing व विभिन्न प्रकार की Services Tax लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास था।
की Selling पर Tax लगाने
का अधिकार राज्य सरकार के पास था और वस्तुओं के Manufacturing व विभिन्न प्रकार की Services Tax लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास था।
इसी वजह से जब किसी
राज्य सरकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, तो वो वह अपने राज्य
में विभिन्न प्रकार के Products की Selling पर नए तरह का Tax लगा
देता था और जब केन्द्र सरकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, तो वह अपने विभिन्न
राज्यों में Manufacture होने वाले विभिन्न प्रकार के Products की Manufacturing व Services पर नए तरह का Tax लगा
देता था। इसी वजह से 2014 से 2017 तक Service Tax बढ़कर 12 से 15% हो गया क्योंकि कहीं न कहीं केंद्र सरकार ने पिछले 3 सालों में कई बार और
कई तरह के Tax बढाए
हैं।
राज्य सरकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, तो वो वह अपने राज्य
में विभिन्न प्रकार के Products की Selling पर नए तरह का Tax लगा
देता था और जब केन्द्र सरकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था, तो वह अपने विभिन्न
राज्यों में Manufacture होने वाले विभिन्न प्रकार के Products की Manufacturing व Services पर नए तरह का Tax लगा
देता था। इसी वजह से 2014 से 2017 तक Service Tax बढ़कर 12 से 15% हो गया क्योंकि कहीं न कहीं केंद्र सरकार ने पिछले 3 सालों में कई बार और
कई तरह के Tax बढाए
हैं।
एक ही देश में दो अलग
तरह प्रकार के Tax Systems की वजह से GST से
पहले तक देश की Tax व्यवस्था
काफी जटिल थी। इसी वजह से Companies व छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के Tax क़ानूनों का पालन करना काफी मुश्किल था। यहां तक कि जब भी
कोई विदेशी कम्पनी भारत में Investment करना चाहती थी, तो यहां के Complex Tax Structure की वजह से उसे भारत में Investment करने में बहुत दिक्कत आती थी और यह भी एक कारण था कि NDA सरकार के पिछले 3 सालों के अथक प्रयासों के बावजूद भी भारत में उतना Foreign
Investment नहीं आया, जितना आना चाहिए था।
क्योंकि Foreign Companies को यही समझ में नहीं आता था कि किस राज्य में Invest करने के लिए उन्हें केन्द्र को कौन-कौन से Tax चुकाने होंगे और राज्यों को कौन से Tax चुकाने होंगे। साथ ही किस Tax के लिए किस व्यक्ति से या किस बाबू से मिलना होगा।
तरह प्रकार के Tax Systems की वजह से GST से
पहले तक देश की Tax व्यवस्था
काफी जटिल थी। इसी वजह से Companies व छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के Tax क़ानूनों का पालन करना काफी मुश्किल था। यहां तक कि जब भी
कोई विदेशी कम्पनी भारत में Investment करना चाहती थी, तो यहां के Complex Tax Structure की वजह से उसे भारत में Investment करने में बहुत दिक्कत आती थी और यह भी एक कारण था कि NDA सरकार के पिछले 3 सालों के अथक प्रयासों के बावजूद भी भारत में उतना Foreign
Investment नहीं आया, जितना आना चाहिए था।
क्योंकि Foreign Companies को यही समझ में नहीं आता था कि किस राज्य में Invest करने के लिए उन्हें केन्द्र को कौन-कौन से Tax चुकाने होंगे और राज्यों को कौन से Tax चुकाने होंगे। साथ ही किस Tax के लिए किस व्यक्ति से या किस बाबू से मिलना होगा।
इसीलिए आपने सुना होगा
कि ज्यादातर Foreign Investor यही कहते थे कि भारत में Business करना आसान नहीं है और वे अक्सर Ease of doing Business का माहौल बनाने पर जोर देते थे। जिसका सीधा सा मतलब यही था
कि Foreign Investment को आने के लिए Tax System को आसान बनाईए।
कि ज्यादातर Foreign Investor यही कहते थे कि भारत में Business करना आसान नहीं है और वे अक्सर Ease of doing Business का माहौल बनाने पर जोर देते थे। जिसका सीधा सा मतलब यही था
कि Foreign Investment को आने के लिए Tax System को आसान बनाईए।
अब GST के रूप में केवल एक Indirect Tax होने की वजह से किसी भी नए Business करने वाले व्यक्ति को पता रहेगा कि उसे कितना, कैसा और कैसे Tax Pay करना है। परिणामस्वरूप अब Foreign
Investment आने के रास्ते ज्यादा
आसान होंगे और उम्मीद है कि अब किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में ज्यादा Foreign
Investment आएगा, जिससे देश का विकास और
ज्यादा तेजी से होगा।
Investment आने के रास्ते ज्यादा
आसान होंगे और उम्मीद है कि अब किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में ज्यादा Foreign
Investment आएगा, जिससे देश का विकास और
ज्यादा तेजी से होगा।
Complete GST को एक Post में Cover करना किसी भी स्थिति में पूरी तरह से सम्भव नहीं है। इसलिए
इस पर कुछ और Posts और
निकट भविष्य में Publish होंगे। उम्मीद है। ये Post आपके लिए उपयोगी रहा होगा। आप चाहें तो इसे अपने Friends and
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