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कंप्यूटर का परिचय और विकास

 

Introduction of Computer – वर्तमान समय इन्टरनेट का युग है जिसमे कंप्यूटर का ज्ञान होना अति आवश्यक है आज सभी कार्य कंप्यूटर के द्वारा किये जा रहे है चाहे ऑनलाइन क्लास हो? ऑनलाइन मार्केटिंग या ऑनलाइन मनी ट्रान्सफर कुछ भी आज सभी चीजे कंप्यूटर के माध्यम से की जा रही है, तो इसी कड़ी में हम आज की इस पोस्ट में जानेंगे की कंप्यूटर क्या है? कंप्यूटर का पूरा नाम? कंप्यूटर को हिंदी में क्या कहते है? आदि बहुत सारे सवालो का जवाब हम आज की इस पोस्ट में जानेंगे?

  कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्ति कहॉ से हुई?

 

कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्प्यूट शब्द से हुई जिसका अर्थ है कैलकुलेशन तो हम कह सकते है कि कम्प्यूटर गणना करने वाली एक मशीन है इसलिए कंप्यूटर को हिन्दी में संगणक कहा जाता है, तथा कंप्यूटर के जनक (Father of Computer) Charles Babbage जी है.   

कम्प्यूटर बना है?

कम्प्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से मिलकर बना  है।

Introduction of Computer

Full Form of Computer (कंप्यूटर का पूरा नाम)

C – Common

O – Operating

M – Machine

P- Particularly

U- Used for

T – Technical

E – Educational

R – Research

 

Generation of Computer (कंप्यूटर की पीढ़िया)

 

हली पीढ़ी

1. 1940 से 1956 की अवधि, को कंप्यूटर की पहली पीढ़ी के रूप में माना जाता है।

2. पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का उपयोग करके विकसित किया गया था।

3. पहली पीढ़ी के कंप्यूटर बाइनरी-कोडेड कॉन्सेप्ट (0-1 की भाषा) पर काम करते थे। उदाहरण: ENIAC, EDVAC, आदि।

 

Download – Introduction of Computer in Hindi Pdf – New!

दूसरी पीढी

1. 1956 से 1963 की अवधि को कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी के रूप में माना जाता है।

2. दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों को ट्रांजिस्टर तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया था।

3. पहली पीढ़ी की तुलना में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का आकार छोटा था।

 

तीसरी पीढ़ी

1. 1963 से 1971 की अवधि को कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी के रूप में माना जाता है।

2. तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर को इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया था।

3. दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का आकार छोटा था।

4. तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ने कम बिजली की खपत की और कम गर्मी भी पैदा की।

5. तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की रखरखाव लागत भी कम थी।

6. तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का कंप्यूटर सिस्टम व्यावसायिक उपयोग के लिए आसान था।

 

चौथी पीढ़ी

1. 1972 से 2010 की अवधि को कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी के रूप में माना जाता है।

2. चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों को माइक्रोप्रोसेसर तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया था।

3. चौथी पीढ़ी में आने से कंप्यूटर आकार में बहुत छोटा हो गया ।

4. यह आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो गया।

 

पांचवी पीढ़ी

1. 2010 से अब तक की अवधि और उससे आगे, मोटे तौर पर पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों की अवधि के रूप में माना जाता है।

2. उस समय तक कंप्यूटर पीढ़ी को केवल हार्डवेयर के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा था, लेकिन पांचवीं पीढ़ी की तकनीक में सॉफ्टवेयर भी शामिल था।

3. पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में उच्च क्षमता और बड़ी मेमोरी क्षमता थी।

4. इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के साथ काम करना तेज था और एक साथ कई काम किए जा सकते थे।

5. पांचवीं पीढ़ी की कुछ लोकप्रिय उन्नत तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटेशन, नैनो टेक्नोलॉजी, पैरेलल
प्रोसेसिंग आदि शामिल हैं।

Types of Computer (कंप्यूटर के प्रकार)

 

डेटा हैंडलिंग क्षमताओं के आधार पर , कंप्यूटर तीन प्रकार के होते हैं:

1. एनालॉग कंप्यूटर

2. डिजिटल कम्प्यूटर और

3. हाइब्रिड कंप्यूटर

 

1)एनालॉग कंप्यूटर

एनालॉग कंप्यूटर को एनालॉग डेटा को प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है  एनालॉग डेटा निरंतर डेटा है जो लगातार बदलता रहता है। 

हम कह सकते हैं कि एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग वहा किया जाता है जहां हमें हमेशा गति, तापमान, दबाव और करंट जैसे
सटीक मानों की आवश्यकता नहीं होती है।

2) डिजिटल कंप्यूटर

डिजिटल कंप्यूटर को उच्च गति पर गणना और तार्किक संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

यह डेटा को अंकों या बाइनरी नंबर (0 और 1) के रूप में इनपुट के रूप में स्वीकार करता है और आउटपुट का उत्पादन करने के लिए इसकी मेमोरी में संग्रहीत कार्यक्रमों के साथ इसे संसाधित करता है। 

सभी आधुनिक कंप्यूटर जैसे लैपटॉप, डेस्कटॉप स्मार्टफोन सहित जिनका हम घर या कार्यालय में उपयोग करते हैं, वे डिजिटल
कंप्यूटर हैं।

3)हाइब्रिड कंप्यूटर

हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर दोनों की विशेषताएं होती हैं। यह एक एनालॉग कंप्यूटर की तरह तेज़ है और इसमें डिजिटल कंप्यूटर की तरह मेमोरी और सटीकता है   

यह एनालॉग संकेतों को स्वीकार करता है और प्रसंस्करण से पहले उन्हें डिजिटल रूप में परिवर्तित करता है। इसलिए, इसका व्यापक रूप से विशेष अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है जहां एनालॉग और डिजिटल डेटा दोनों को संसाधित किया जाता है।

उदाहरण के लिए, पेट्रोल पंपों में एक प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है जो ईंधन प्रवाह के माप को मात्रा और कीमत में परिवर्तित करता है। इसी तरह, उनका उपयोग हवाई जहाज, अस्पतालों और वैज्ञानिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।

आकार के आधार पर कंप्यूटर पांच प्रकार होते हैं :

 

1) सुपर कंप्यूटर

सुपर कंप्यूटर सबसे बड़े और सबसे तेज कंप्यूटर हैं  वे बड़ी मात्रा में डेटा को संसाधित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। एक सुपर कंप्यूटर एक सेकंड में खरबों निर्देशों को संसाधित कर सकता है  इसमें हजारों इंटरकनेक्टेड प्रोसेसर हैं।

सुपर कंप्यूटर विशेष रूप से वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों जैसे मौसम पूर्वानुमान, वैज्ञानिक सिमुलेशन और परमाणु ऊर्जा अनुसंधान में उपयोग किए जाते हैं। पहला सुपर कंप्यूटर 1976 में रोजर क्रे द्वारा विकसित किया गया था 

2) मेनफ्रेम कंप्यूटर

मेनफ्रेम कंप्यूटर एक साथ सैकड़ों या हजारों उपयोगकर्ताओं का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। वे एक ही समय में कई कार्यक्रमों का समर्थन कर सकते हैं।  इसका मतलब है कि वे विभिन्न प्रक्रियाओं को एक साथ निष्पादित कर सकते हैं। मेनफ्रेम कंप्यूटर की ये विशेषताएं उन्हें बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्रों जैसे बड़े संगठनों के लिए आदर्श बनाती हैं, जिन्हें उच्च मात्रा में डेटा का प्रबंधन और प्रसंस्करण करने की आवश्यकता होती है।

3) मिनीफ्रेम या मिनीकंप्यूटर

यह एक मध्यम आकार का मल्टीप्रोसेसिंग कंप्यूटर है  इसमें दो या दो से अधिक प्रोसेसर होते हैं और एक बार में 4 से 200 उपयोगकर्ताओं का समर्थन कर सकते हैं  

मिनीफ्रेम कंप्यूटर का उपयोग संस्थानों और विभागों में बिलिंग, अकाउंटिंग और इन्वेंट्री प्रबंधन जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। 

एक मिनी कंप्यूटर मेनफ्रेम और माइक्रो कंप्यूटर के बीच स्थित होता है क्योंकि यह मेनफ्रेम से छोटा होता है लेकिन माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा होता है।

4) वर्कस्टेशन

वर्कस्टेशन एक एकल उपयोगकर्ता कंप्यूटर है जिसे तकनीकी या वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है  इसमें तेज माइक्रोप्रोसेसर, बड़ी मात्रा में रैम और हाई स्पीड ग्राफिक एडेप्टर हैं। 

यह आम तौर पर महान विशेषज्ञता के साथ एक विशिष्ट कार्य करता है ; तदनुसार, वे विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे कि ग्राफिक्स वर्कस्टेशन, म्यूजिक वर्कस्टेशन और इंजीनियरिंग डिजाइन वर्कस्टेशन।

5) माइक्रो कंप्यूटर

माइक्रो कंप्यूटर को पर्सनल कंप्यूटर के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सामान्य-उद्देश्य वाला कंप्यूटर है जिसे व्यक्तिगत उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

इसमें सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट, मेमोरी, स्टोरेज एरिया, इनपुट यूनिट और आउटपुट यूनिट के रूप में एक माइक्रोप्रोसेसर है। लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर के उदाहरण हैं। 

वे व्यक्तिगत काम के लिए उपयुक्त हैं जो एक असाइनमेंट कर सकते हैं, एक फिल्म देख सकते हैं या कार्यालय के काम के लिए कार्यालय में हो सकते हैं।

 

Components of Computer (कंप्यूटर के घटक)

 

कंप्यूटर में तीन मुख्य घटक होते हैं:-

1. इनपुट और आउटपुट यूनिट
2.
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)
3.
मेमोरी यूनिट

 

1. इनपुट और आउटपुट यूनिट

उपयोगकर्ता के लिए कंप्यूटर के साथ संवाद करने के लिए इनपुट और आउटपुट डिवाइस की आवश्यकता होती है। 

इनपुट डिवाइस के माध्यम से हम कंप्यूटर सिस्टम में डेटा इंसर्ट करते हैं और आउटपुट डिवाइस के माध्यम से हम इनपुट
डाटा का रिजल्ट प्राप्त करते है।


2.
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) एक कंप्यूटर सिस्टम का हिस्सा है जो सिस्टम के बुनियादी अंकगणितीय, तार्किक और इनपुट /आउटपुट संचालन करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम के निर्देश को पूरा करता है।

CPU को कंप्यूटर के मस्तिष्क के रूप में भी जाना जाता है। CPU की गति का उपयोग माइक्रो प्रोसेसर के प्रकार पर
निर्भर करता है और इसे मेगा हर्ट्ज (मेगाहर्ट्ज) में मापा जाता है

 

CPU तीन भागो में विभाजित है :-

1) अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU)

Computer में एक अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (ALU)एक डिजिटल सर्किट है जो अंकगणित और तार्किक संचालन करता है।

2) नियंत्रण इकाई (CU)

कंट्रोल यूनिट एक कंप्यूटर सिस्टम के इनपुट औरआउटपुट डिवाइस को समन्वयित करता है। 

अर्थात इस यूनिट के द्वारा हम कम्प्यूटर से जुड़े हुए कंपोनन्ट के कार्य को नियंत्रित करते है।


3) 
मेमोरी यूनिट (MU) 

यह Memory अस्थायी या स्थायी आधार पर कार्यक्रमों या डेटा को संग्रहीत करने के लिए जिम्मेदार है।
इसमें प्राथमिक मेमोरी (
Primary Memory)और सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) है। 

जिस इनपुट डेटा को प्रोसेस करना है उसे प्रोसेसिंग से पहले मुख्य मेमोरी में लाया जाता है।

Input and Output Device (इनपुट और आउटपुट यूनिट)

 

1. INPUT DEVICE

Computer में जिन devices की मदद से हम Instructions देते हैंउन डिवाइस को इनपुट डिवाइस कहा जाता है आसान भाषा में हम जिस भी डिवाइस से कंप्यूटर को इनपुट देते हैं। 

उन्हें ही Input Device कहा जाता हैं। जैसे :- Keyboard, Mouse, Scanner, Light Pen, Etc. इन सभी इनपुट डिवाइस के जरिये हम कंप्यूटर में input देते हैं। चलिए अब हम यह समझते है यह Input Device कैसे है :-

 Keyboard (कीबोर्ड)

Introduction of Computer

Keyboard, कंप्यूटर में सबसे अहम भूमिका निभाता है क्योकि हम कीबोर्ड द्वारा ही कंप्यूटर में डाटा डालने डालने का कार्य करते है तथा ये Text और Character को इनपुट करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं। इसके अलावा कंप्यूटर में हम लिखने का जितना भी कार्य होता हैंउसे कीबोर्ड के द्वारा ही करते है इसलिए हम कह सकते है की Keyboard Inpute Device है.  

 Mouse (माउस)

Introduction of Computer

 

Keyboard के बाद दूसरे नंबर पर Mouse आता है इसकी की मदद से हम कंप्यूटर में किसी भी शेप को बना सकते है तथा Mouse Pointer के द्वारा किसी भी एप्लीकेशन को आसानी से खोल और बंद कर सकते है । 

माउस में बटन होते हैंजिन्हें लेफ्ट क्लिक और राईट क्लिक कहते हैं। और एक बीच में स्क्रॉल बटन होता हैंजिससे हम पेज को ऊपर एवं नीचे कर सकते हैं। 

 Scanner (स्कैनर)

 

Introduction of Computer

स्कैनर भी इनपुट डिवाइस होते हैं, स्कैनर के जरिये हम किसी भी पेजडॉक्यूमेंटफोटो आदि को स्कैन कर उसे सीधे कंप्यूटर में
इनपुट कर सकते है स्कैन करने के बाद हम
 documents या फोटो को Edit भी कर सकते हैं। 

 Light Pen (लाइट पेन)

Introduction of Computer

Light Pen भी एक इनपुट डिवाइस हैं। इसका इस्तेमाल कंप्यूटर में चित्र या ग्राफ़िक को बनाने के लिए किया जाता हैं। इसके
अलावा टच स्क्रीन वाले कंप्यूटर में इसका इस्तेमाल डिस्प्ले टच करने के लिए भी किया जाता हैं। इसे पॉइंटर डिवाइस भी कहा जाता हैं।
 

 Micro Phone (माइक्रो फोन)

कंप्यूटर का परिचय और विकास

माइक्रोफोन भी एक इनपुट डिवाइस हैं। माइक्रोफोन का उपयोग voice record करने के लिए किया जाता हैं। हम जो कुछ भी बोलते हैंवो माइक्रोफोन के जरिये कंप्यूटर में इनपुट होती हैं। इस प्रकार माइक्रोफोन भी एक इनपुट डिवाइस होता हैं।

इस प्रकार से वह सभी Devices जिनके माध्यम से हम Computer को input देते है Input Devices कहलाते है नीचे कुछ और Input Device दिए गए है:- 

KEYBOARD, MOUSE, JOYSTICKS, LIGHT PEN,GRAPHICS TABLET, TOUCH SCREEN,TOUCH PAD,TRACKBALL,SCANNER

MICR( Magnetic Ink Character Recognition), OCR (Optical Character
Recognition),OMR (Optical Mark reader) 
Bar code Reader, Microphone, Digital Camera
,
Biometric Sensor etc.  

 

2. OUTPUT DEVICE

कंप्यूटर को इनपुट देने के बाद हमें जिन डिवाइस के जरिये रिजल्ट प्रदान होता हैंउसे आउटपुट डिवाइस कहा जाता हैं। जैसे :- Monitor, Printer, Projector, Speaker आदिये सभी आउटपुट डिवाइस हैं। 

इन आउटपुट डिवाइस की मदद से हमें कंप्यूटर से आउटपुट मिलता हैं। अब समझते है की इन्हें Output Device क्यों कहा जाता है:-  

 Monitor (मॉनिटर)

Introduction of Computer

Monitor, कंप्यूटर का सबसे महत्पूर्ण डिवाइस हैं। मॉनिटर के बिना कंप्यूटर अधूरा हैंइसके बिना कंप्यूटर का use  कर पाना संभव नहीं हैं। हम कंप्यूटर को जो भी इनपुट देते हैंआउटपुट के रूप में हमें मॉनिटर के जरिये वही मिलता हैं। 

यह दिखने में बिलकुल TV की तरह ही होते हैं वर्तमान समय में अब कई प्रकार के मॉनिटर मार्किट में उपलब्ध है जैसे – LED, TFT, CRT आदि.   

Printer (प्रिन्टर)

Introduction of Computer

प्रिंटर का प्रयोग किसी भी डाटा या फोटो को पेज में प्रिन्ट करने के लिए किया जाता हैं। ये भी एक आउटपुट डिवाइस हैं। अगर हमें किसी डॉक्यूमेंट या फोटो का प्रिन्ट चाहिए तो हम कंप्यूटर से इनपुट देंगेऔर आउटपुट के रूप में प्रिन्टर के जरिये हमें उस डाटा या फोटो का प्रिंटआउट मिल जाता हैं इस प्रकार से हम कह सकते है की प्रिंटर भी आउटपुट device है.

Projector (प्रोजेक्टर)

Introduction of Computer

प्रोजेक्टर भी एक आउटपुट डिवाइस है। प्रोजेक्टर वो डिवाइस होती है जिसकी मदद से हम कंप्यूटर की display को दूसरे स्क्रीन पर दिखा सकते हैं। 

हम कंप्यूटर के डिस्प्ले को बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहते हैंतो इसके लिए प्रोजेक्टर की आवश्यता पढ़ती हैं इस प्रकार से
प्रोजेक्टर भी आउटपुट
device है.

Speaker (स्पीकर)

 

Introduction of Computer

कंप्यूटर पर हम स्पीकर के द्वारा उसमे बजाए जा रहे म्यूजिक को सुन सकते हैं। स्पीकर का इस्तेमाल विडियो की आवाज़गानेया रिकॉर्ड की गयी आवाज़ को सुनने के लिए किया जाता हैं। 

जब हम कंप्यूटर में विडियो देखने या म्यूजिक सुनने के लिए इनपुट देते हैं तो स्पीकर की मदद से ही हमें उसका आउटपुट मिलता हैं इस प्रकार से स्पीकर भी आउटपुट device है. 

 

COMPUTER MEMORY (कंप्यूटर मेमोरी)

कंप्यूटर मेमोरी कंप्यूटर सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। यह आंतरिक या बाहरी भंडारण क्षेत्र है, जो बाइनरी नंबर के रूप में प्रसंस्करण के दौरान डेटा और निर्देश को रखता है।


कंप्यूटर मेमोरी को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

1.
प्राथमिक मेमोरी (Main Memory) और
2.
माध्यमिक मेमोरी (Secondary Memory)

 

1. प्राथमिक मेमोरी (Main Memory)

इसे मुख्य मेमोरी के रूप में भी जाना जाता है। यह डेटा और निर्देशों को रखने के लिए कंप्यूटर द्वारा उपयोग की जाने वाली आंतरिक भंडारण मेमोरी है। प्राथमिक मेमोरी में भंडारण क्षमता सीमित होती है।
प्राथमिक मेमोरी प्रकृति में अस्थिर है यानी इसे वर्तमान जानकारी को गति देने के लिए निरंतर बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता होती है।



प्राथमिक मेमोरी दो प्रकार की होती है

1.
रैम (RAM)
2.
रोम (
ROM)



1.
रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) – यह आंतरिक मेमोरी है जिसे पढ़ने के साथ-साथ लिखा भी जा सकता है। यह मेमोरी अस्थिर मेमोरी (Volatile Memory) है इसके लिए विद्युत प्रवाह के निरंतर प्रवाह की आवश्यकता होती है।


2.
रीड ओनली मेमोरी (ROM) – इस मेमेारी में जो भी डाटा एक बार संग्रहित हो जाता है, उसे बदला नहीं जा सकता है। इसलिए Data को केवल पढ़ा और इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मेमोरी को नॉन-वोलेटाइल मेमोरी कहा जाता है।

कैश मेमोरी (Cache Memory)

कैश (Cache Memory) मेमोरी बेहद तेज मेमोरी है जिसे कंप्यूटर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में बनाया गया है या इसके बगल में एक अलग चिप लगी है। 

सीपीयू कैश मेमोरी का उपयोग उन निर्देशों को संग्रहीत करने के लिए करता है जो प्रोग्राम को चलाने के लिए बार-बार आवश्यक होते हैं। 

2. स्टोरेज डिवाइस / सेकेंडरी मेमोरी (secondary Memory)

सेकेंडरी मेमोरी को सेकेंडरी स्टोरेज मेमोरी के रूप में भी जाना जाता है। यह प्राइमरी मेमोरी से धीमी और सस्ती है। यह एक स्थायी भंडारण उपकरण है।


उदाहरण
1.
फ्लॉपी डिस्क
2.
हार्ड डिस्क
3.
कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी)
4.
डिजिटल वीडियो डिस्क (डीवीडी)
5.
पेन ड्राइव (पी.डी.)
6.
मेमोरी कार्ड आदि।

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में अन्तर (Concept of Hardware & Software)

 

एक कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एक संयोजन है। ये दोनों संयुक्त रूप से काम करते हैं और कंप्यूटर को इसके लिए निर्देश देते हैं। 

हार्डवेयर (Hardware) –

कम्प्यूटर के वे पार्टस जिन्हे हम छू सकते है हार्डवेयर कहलाते है जैसे कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर और प्रिंटर आदि

 

सॉफ्टवेयर (Software)

सॉफ्टवेयर (Software) कंप्यूटर प्रोग्राम, प्रक्रिया और संबंधित डेटा का एक संग्रह है जो कंप्यूटर को यह बताने के लिए निर्देश प्रदान करता है कि यह क्या और कैसे करता है। 

एक सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता और कंप्यूटर के बीच एक इंटरफेस है। यह निर्देशों और कार्यक्रमों का एक समूह है जो हार्डवेयर को कमांड देने के लिए उपयोग किया जाता है।


सॉफ्टवेयर को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है –

1.
सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
2.
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (
Application Software)

 

1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

यह उपयोगकर्ता और कंप्यूटर के घटक के बीच इंटरफेस भी प्रदान करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर के कुछ सामान्य उदाहरण सभी ऑपरेटिंग सिस्टम हैं जैसे WINDOW, LINEX, UNIX, ANDROID आदि।

 

2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है जिसे उपयोगकर्ता को कार्य करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह विशिष्ट उपयोगों या अनुप्रयोगों के लिए डिजाइन किए गए निर्देशों या कार्यक्रमों का एक समूह है

जो उपयोगकर्ता को कंप्यूटर के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाता है। एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को अंतिम उपयोगकर्ता प्रोग्राम भी कहा जाता है जैसे – एम.एस.वर्ड, एक्सेल, पावर प्वाइंट, टैली, गेम्स और वे सभी सॉफ्टवेयर जिन पर हम काम करते हैं । Application Software कहलाते हैं।

संख्या प्रणाली (NUMBER SYSTEMS)

 

कंप्यूटर आपकी भाषा को नहीं समझ पाता है कि आप इनपुट के रूप में क्या देते हैं। इनपुट को एक रूप में परिवर्तित किया जाता है ताकि कंप्यूटर इसे समझने में सक्षम हो। एक कंप्यूटर केवल स्थितीय संख्या प्रणाली को समझ सकता है।
निम्नलिखित कम्प्यूटर संख्या (NUMBER SYSTEMS) प्रणाली यहाँ दी गई है

1. बाइनरी नंबर सिस्टम (BINARY NUMBER SYSTEMS)

बाइनरी नंबर सिस्टम में केवल दो अंक होते हैं 0 और 1. सभी डेटा 0 और 1 के रूप में परिवर्तित होते हैं और बाइनरी नम्बर सिस्टम पर डिजिटल कंप्यूटर काम करते हैं। बाइनरी नंबर सिस्टम का बेस 2 है।

 

2. दशमलव संख्या प्रणाली (DECIMAL NUMBER SYSTEMS)

दशमलव संख्या प्रणाली में एक संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए 8 प्रतीक हैं। इसलिए इस संख्या प्रणाली का आधार 10 है और अंकों का उपयोग 0 से 9 तक किया जाता है।


3.
ऑक्टल नंबर सिस्टम (OCTAL NUMBER SYSTEMS)


इस संख्या प्रणाली में एक संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए 8 प्रतीक हैं। इसका बेस (आधार) 8 है और इसमें अंक 0 से 7 तक उपयोग किए जाते हैं।

 

4. हेक्साडेसिमल नंबर सिस्टम (HEXADECIMAL NUMBER SYSTEMS)

इस संख्या प्रणाली में 16 अंक उपलब्ध हैं। ये 0 से 9 और A से F हैं, जहां A 10 को दर्शाता है, B 11 को दर्शाता है, C 12 को
दर्शाता है
, D 13, E14 और F 15 को दर्शाता है इस संख्या प्रणाली में 16 अंक हैं इसलिए इसका बेस (आधार) 16 होता है।

Unit of Computer Memory measurement


Bit         –                 The smallest unit of data. is is either 0 or 1
Nible     –                 A group of 4 bits
Byte      –                 A group of 8 bits
Kilobyte (KB)-      1Kb = 1024 bytes
Megabyte (MB)-   1Mb = 1024 Kb
Gigabyte (GB)-     1 GB = 1024MB
Terabyte (TB)-      1TB = 1024GB

 

Facebook Account को Permanent Delete कैसे करते है?

Google Meet क्या है, यह कैसे काम करता है तथा इसे कैसे Download करे?

IP Address क्या होता है तथा यह कैसे काम करता है?

अंत में

आशा है की पूरी पोस्ट पढने के बाद आपको कंप्यूटर का परिचय और विकास का बेसिक ज्ञान हो गया होगा.

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8 Comments

  • मैं आपकी वेबसाइट को बहुत ही ज्यादा पसंद करता हूं, ऐसी वेबसाइट किसी की नहीं मिली अभी तक। और आपके ऑर्टिकल पढ़ने के बाद मैंने भीं ब्लॉग लिखाना शुरू किया हैं, क्या आप मेरी वेबसाइट देख कर बता सकते हैं। क्या मैं सही काम कर रहा हूं प्लीज़ मेरी मदद करें।

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  • Thank u sir ..apke iss post ki vjha se mera exam acha ho gya …mere pass book bhi nhi thi sirf ek iss Wikipedia ki vjha se sab kr dia exam me ..thx u so much🤗🤗

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